SHEOHAR: जिले के समाहरणालय परिसर में मंगलवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब एक युवक ने डीएम कार्यालय के नीचे ही जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। पीड़ित युवक की पहचान नीरज कुमार पिता सुरेन्द्र राय ग्राम हरनाही थाना सदर के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि नीरज लंबे समय से तरियानी थाना पुलिस की प्रताड़ना और उपेक्षा से परेशान था। न्याय की उम्मीद में वह समाहरणालय पहुंचा था, लेकिन जब किसी अधिकारी ने उसकी नहीं सुनी, तो उसने खुद को ही सजा देने का फैसला कर लिया।
जहर खाते ही मची अफरा-तफरी
नीरज कुमार ने जैसे ही जहर खाया, समाहरणालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई। तत्काल मौजूद कर्मियों और अधिकारियों ने उसे शिवहर सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने हालत नाजुक देखते हुए उसे मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच रेफर कर दिया। फिलहाल युवक का इलाज चल रहा है और हालत चिंताजनक बताई जा रही है।
किराए का कमरा तो मिला नहीं, बाइक भी छीनी गईघटना के पीछे की कहानी बेहद पीड़ादायक है। नीरज कुमार ने तरियानी थाना क्षेत्र के सुरगाही स्थित चौधरी मार्केट में एक रूम किराए पर लेने के लिए मकान मालिक को एक लाख रुपये एडवांस में दिए थे। लेकिन पैसे लेने के बावजूद मकान मालिक ने कमरा किसी और को दे दिया। जब नीरज ने पैसे वापस मांगे तो मारपीट की गई और उसकी बाइक भी छीन ली गई। थाने में सुनवाई की जगह मिली डांट-फटकारइस गंभीर मामले की शिकायत जब नीरज ने तरियानी थाने में की, तो वहां न सिर्फ उसे डांटा गया बल्कि एफआईआर दर्ज करने से भी इनकार कर दिया गया। नीरज के पिता ने बताया कि उसका बेटा कभी तरियानी थाना, कभी एसपी ऑफिस का चक्कर काटता रहा। मंगलवार को वह एसपी से मिलने समाहरणालय गया, लेकिन वहां मिलने नहीं दिया गया। इसी गहरी निराशा और बेबसी में उसने यह खौफनाक कदम उठा लिया।
पुलिस ने दी यह सफाई
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा ने पूरे मामले पर बताया कि नीरज कुमार की शिकायत पर पहले ही कांड संख्या 64/25 दर्ज की जा चुकी है। उन्होंने दावा किया कि युवक को बयान देने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह थाने नहीं पहुंचा। वहीं, तरियानी थानाध्यक्ष विनय कुमार ने भी यही बात दोहराई कि मामले की जांच जारी है।
डीएम ऑफिस तक जहर लेकर पहुंचा युवक
घटना के बाद कई गंभीर सवाल उठने लगे हैं। अगर एफआईआर दर्ज हो चुकी थी, तो युवक जहर लेकर समाहरणालय क्यों पहुंचा? और अगर पुलिस वाकई कार्रवाई कर रही थी, तो युवक को इतनी बड़ी मानसिक प्रताड़ना क्यों झेलनी पड़ी? पीड़ित नीरज का आरोप है कि थाना प्रभारी की शह पर उसकी बाइक जब्त कर ली गई और उस पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। पुलिस उसकी कोई बात नहीं सुन रही थी।
प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल, लोगों में आक्रोश
इस पूरी घटना ने जिले में प्रशासन की संवेदनहीनता और पुलिसिया रवैये को उजागर कर दिया है। आम जनता के मन में यह डर बैठ गया है कि अगर न्याय की आस में जहर खाना पड़ जाए, तो क्या यह सिस्टम की नाकामी नहीं है? फिलहाल पुलिस जांच की बात कह रही है, लेकिन युवक की हालत और उसकी आपबीती ने सिस्टम की खामियों को सामने लाकर रख दिया है।