SHEOHAR:आज है सीता नवमी? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और उपासना विधि
लाल बाबू पांडे शिवहर की रिपोर्ट
SHEOHAR: सीता नवमी जिसे सीता जंयती के नाम से भी जाना जाता है, माता सीता का जन्मोत्सव वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तो मनाया जाता है. यह विवाहित महिलाओं के लिए एक विशेष दिन होता है जो अपने पति की भलाई और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और विशेष प्रार्थना करती हैं.
सीता नवमी 6 मई 2025 यानी आज मनाई जा रही है. सीता नवमी का शुभ मुहूर्त 6 मई 2025 यानी आज सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा और तिथि का समापन 7 मई 2025 यानी कल सुबह 8 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा.
सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के नमवी तिथि को मनायी जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार, देवी सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था. देवी सीता का विवाह भगवान राम से हुआ था, जिनका जन्म भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि तो हुआ था. हिंदू पंचांग के अनुसार सीता जयंती राम नवमी के एक महीने बाद ही आती है.
सीता नवमी का महत्व और पौराणिक कथा
माता सीता को जानकी नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की दत्तक पुत्री थीं. माता सीता का जन्म एक रहस्य है, पौराणिक कथाओं के अनुसार, मिथिला में वर्षा न होने के कारण अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी. तब ऋषियों ने राजा जनक से यज्ञ करने और हल चलाने को कहा ,तब राजा जनक यज्ञ करने के बाद सीतामढ़ी के पुनौरा गांव जमीन में हल चला रहे थे उसी समय हल जमीन में दबी एक संदूक से टकाराई, फिर राजा जनक ने सुंदूक बाहार निकल के उसे खोला उसमें एक छोटी कन्या थी. राजा जनक की कोई संतान न होने के कारण राजा से उस कन्या को अपनी पुत्री मानकर उसका नाम सीता रखा गया. सीतामढ़ी, बिहार और नेपाल के जनकपुर को माता सीता का जन्मस्थान माना जाता है. इस तरह पुनौरा में ही मां सीता की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए मां सीता के नाम पर ही सीतामढ़ी नाम पडा था,
ऐसा कहा जाता है कि देवी सीता पवित्रता और भक्ति की मुर्ति हैं. जो कोई उनकी पूजा करने से आत्मा को शुद्ध कर सकता है और जीवन में समर्पित हो सकता है. अगर माता सीता की जीवन को देखा जाए तो उन्होंने जीवन में बहुत कठिनाईयों को अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ सहन किया.
सीता नवमी पूजा विधि
इस दिन साधक जल्द उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहन, पूजा स्थान को स्वच्छ कर माता सीता और भगवान राम की मुर्ति या चित्र को स्थापित करें फिर सच्चे मन से प्रार्थना करें. उनको फूल, फल और भोग चढ़ाएं. कोई व्रत करना चाहें तो व्रत कर सकते है इस दिन सात्विक भोजन करें.