SHEOHAR; ऑपरेशन सिंदूर के बाद घुटनों पर आया पाकिस्तान, ठाकुर रत्नाकर राणा
पहली बार सिंधु जल संधि की शर्तों पर बात करने पर हुआ पाकिस्तान तैयार, यह भारत की बड़ी जीत
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SHEOHAR: पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य ठाकुर रत्नाकर राणा ने बताया है कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान घुटने टेकता नजर आ रहा है। इस्लामाबाद ने पहली बार सिंधु जल संधि की शर्तों पर बातचीत करने का संकेत दिया है। भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ 1960 से चली आ रही सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। ठाकुर रत्नाकर राणा ने बताया एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने भारत की आपत्तियों पर चर्चा करने की पेशकश की है। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने हाल ही में भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा संधि को स्थगित रखने के निर्णय की औपचारिक सूचना पर प्रतिक्रिया दी है। भारत से इस पर बात करने को तैयार हुआ है, पहले गीदड़भभकी देता था, पानी के बदले खून बहेगा, अब सारी हेकड़ी बंद हो गई है।
ठाकुर रत्नाकर राणा जी ने कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव बढ़ता गया। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया और खूंखार दहशतगर्दों को ढेर कर दिया। बौखलाई पाकिस्तानी सेना ने भारत पर हमले की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन नाकाम रहे। जवाब में भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और उसके घर में घुसकर कई जख्म दिए। इसके बाद पड़ोसी को संघर्ष विराम के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा।
राणा ने बताया कि संघर्ष विराम के लिए भारत अपनी शर्तों पर तैयार हुआ। संघर्ष विराम के बीच सिंधु जल संधि का निलंबन जारी रहेगा। अन्य सभी पाबंदियां लागू रहेंगी। जो भी कदम उठाए गए थे, सभी लागू रहेंगे। आतंकवाद पर भारत की रुख और सख्त रहेगा।
ठाकुर रत्नाकर राणा ने बताया कि भारत-पाक संघर्ष विराम के बाद प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। आतंकवाद और बातचीत या व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते। सैन्य संघर्ष फिलहाल स्थगित किया गया है, वह समाप्त नहीं हुआ है। आपरेशन सिंदूर अब भारत की नई नीति है। इससे पहले तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने संयुक्त रूप से बयान जारी किया था कि संघर्ष विराम अस्थायी है, सेना नए अभियान के लिए तैयार है। फिर राष्ट्र के नाम संबोधन के अगले दिन प्रधानमंत्री आदमपुर वायुसेना अड्डे पर सैनिकों से मिलने गए और वहां भी यही संकेत दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति यथावत है।