लाल बाबू पांडे शिवहर;बीते मंगलवार से जेठ माह का आरंभ हो गया है। ऐसे में सूरज नौतपा के पहले से ही ज्यादा तप रहा है। 25 मई से सूर्य की तपिश और बढ़ने की संभावना है। ज्योतिष आचार्य पंडित राघव नाथ झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि 25 मई को सुबह तीन बजकर 27 मिनट पर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।तापमान में अधिक वृद्धि की संभावना
सूर्य के नक्षत्र में प्रवेश करने के बाद तापमान में अधिक वृद्धि की संभावना है। सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों तक रहेंगे। ज्येष्ठ माह के नौ दिन सबसे गर्म होंगे। इन नौ दिनों में गर्मी अपने चरम पर होगी। नौतपा का आरंभ 25 मई से होगा और यह आठ जून को समाप्त होगा। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र की अवधि 15 दिनों की होगी और इसमें आरंभ के नौ दिन गर्मी सबसे अधिक होती है इसलिए इसे नौतपा कहते हैं।पृथ्वी पर अत्यधिक ऊष्मा का संचार
ज्योतिष के अनुसार सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आने से पृथ्वी पर अत्यधिक ऊष्मा का संचार होता है, जो जनजीवन को प्रभावित करता है। ऐसे में लू लगने और गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति सावधानी बरतने की जरूरत होती है। नौतपा की अवधि में सूर्य की तीव्र गर्मी से पृथ्वी की ऊष्मा को अवशोषित कर वर्षा के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है।रोहिणी नक्षत्र के स्वामी शुक्र
यह किसानों के लिए वर्षा ऋतु की पूर्व सूचना और कृषि कार्याें के नियोजन में सहायक होता है। ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है, तो गर्मी और बढ़ जाती है। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह है। शुक्र को सूर्य का शत्रु माना जाता है ऐसे में सूर्य और शुक्र के एक साथ आने से गर्मी ज्यादा होती है। नौतपा की अवधि में सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस अवधि में सबसे तेज गर्मी पड़ती है। सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ती है।ज्येष्ठ माह में दान-पुण्य का विशेष महत्व
जयेष्ठ में नौतपा का प्रभाव होगा। शास्त्रों में ज्येष्ठ मास का दान महादान माना गया है। इस अवधि में जरूरतमंदों को मौसमी फल, सत्तू, छाता, मटका, सूती वस्त्र और हाथ के पंखे का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। ज्येष्ठ माह में सुबह उठ कर सूर्यदेव को जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।बढ़ती है मानसिक शक्ति
नौतपा के दौरान आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से मानसिक शक्ति बढ़ती है, और जीवन में सकारात्मकता आती है। इस दौरान अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान करना शुभ होता है। माह में राहगीरों के लिए प्याऊ की व्यवस्था करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नौतपा के दौरान विशेष रूप से बुजुर्ग, बच्चे और पशुओं की विशेष देखभाल करने की जरूरत है।