Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में सभी पार्टी के नेता सक्रीय हो गए है और अपना अपना जगह बनाने के लिए कोशिश में जुटी है। ऐसे में नालंदा जिले में रविवार को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा जाने का प्रयास किया, लेकिन प्रशासन ने उन्हें और उनकी टीम को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया। प्रशांत किशोर दलित परिवारों की स्थिति का जायजा लेने और उनके अधिकारों पर सवाल उठाने के लिए वहां जाना चाहते थे।
प्रशांत किशोर ने प्रशासन के इस कदम को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा, "जहां तक मुझे जानकारी है, धारा 144 लागू नहीं है। लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकारों के लिए सवाल उठाने, गांव जाने और वहां लोगों से मिलने से नहीं रोका जा सकता है। नीतीश कुमार की सरकार इतनी डरपोक हो गई है कि अपने ही गांव में लोगों से मिलने नहीं दे रही है। अगर यह स्थिति है तो फिर बिहार के 40 हजार गांवों को बंद कर दीजिए। पुलिस उन्हें डिटेन कर ले।"
प्रशांत किशोर ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "2008 से नीतीश कुमार लगातार कहते आ रहे हैं कि उन्होंने सारे दलित और महादलित परिवारों को 3 डिसमिल जमीन दी है। हम यह देखना चाहते हैं कि क्या कल्याण बिगहा में यह जमीन दी गई है या नहीं। इसके अलावा, हम यह भी जानना चाहते हैं कि जमीन के दाखिल खारिज में सरकारी अधिकारियों और नेताओं द्वारा पैसे लिए जा रहे हैं या नहीं। हम किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन की योजना नहीं बना रहे हैं, केवल लोगों से बात करने का इरादा रखते हैं।"
वहीं, प्रशासन की ओर से कहा गया है कि बिना अनुमति के कोई भी बड़ी सभा या गैदरिंग नहीं करने दी जाएगी। गांव में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रशांत किशोर और उनके कार्यकर्ताओं को गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। हर आने-जाने वाले व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है और केवल उन लोगों को गांव में जाने की इजाजत दी जा रही है जो वहां के निवासी हैं। जन सुराज के कार्यकर्ताओं को गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिल रही है।
इस स्थिति को लेकर प्रशांत किशोर ने आलोचना करते हुए कहा कि यह सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। उनका कहना था कि अगर सरकार अपने किए गए वादों पर खड़ी होती तो उसे इस तरह के कदम उठाने की जरूरत नहीं पड़ती। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि वह जनता के बीच जाकर इस मुद्दे को उठाना चाहते थे, लेकिन प्रशासन के द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश की गई।
यह घटना बिहार की राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दे सकती है, क्योंकि प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है। यह भी देखा जाना होगा कि इस घटना के बाद जन सुराज और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के बीच रिश्ते कैसे बदलते हैं।