नई दिल्ली: दिल्ली से मेरठ की यात्रा एक घंटे से भी कम समय में हो सके, इसके लिए एशियाई विकास बैंक (ADB) लोन देने को तैयार हो गया है। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम या आरआरटीएस के दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के निर्माण के लिए कल ही भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 37 अरब जापानी येन (करीब 25 करोड़ डॉलर) के ऋण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। करीब 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर में इस समय सहिबाबाद से दुहाई तक का कॉरिडोर आम जनता के लिए खोल भी दिया गया है।पहले भी एडीबी से मिला था ऋण
इससे पहले, साल 2020 में भी एडीबी ने इस परियोजना से जुड़े एक लोन को मंजूरी दी थी। दरअसल, दिल्ली को अन्य शहरों से जोड़ने के लिए एनसीआर क्षेत्रीय योजना 2021 के तहत योजनाबद्ध तीन प्राथमिकता वाले रेल गलियारों का निर्माण होना है। इसके पहले कॉरिडोर के निर्माण के लिए एडीबी ने 104.9 करोड़ डॉलर के ऋण की मंजूरी दी थी। यह ऋण भी कई किस्तों में जारी होना था। एडीबी ऋण की पहली किस्त 50 करोड़ डॉलर की थी और अन्य 50 करोड़ डॉलर का सह-वित्तपोषण एआईआईबी द्वारा किया गया था।
हो गया हस्ताक्षर
एडीबी ने दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर के लिए अभी जो 25 करोड़ डॉलर का लोन देने पर सहमत हुआ है, उसके लिए 15 दिसंबर को नई दिल्ली में समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस पर भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग की संयुक्त सचिव जूही मुखर्जी और एडीबी के कंट्री डिप्टी डाइरेक्टर हो युन जियोंग ने हस्ताक्षर किया।
अभी दिल्ली से मेरठ जाने में लगते हैं तीन-चार घंटे
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के आबादी वाले हिस्सों से गुजरते हुए, 82 किलोमीटर का गलियारा तेज, सुरक्षित और उच्च क्षमता वाली पैसेंजर ट्रांजिट सर्विस प्रदान करेगा। इससे यात्रा का समय 3-4 घंटे से घटकर एक घंटा रह जायेगा। साथ ही पूरे क्षेत्र में आर्थिक और रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा। साथ ही लाखों टन सीओ2 उत्सर्जन की भी बचत होगी।