प्राइवेट अस्पताल इसलिए कर रहे हैं विरोध
मध्यम और छोटे अस्पतालों का प्रतिनिधित्व करने वाली असोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (AHPI) के डायरेक्टर जनरल गिरधर ज्ञानी का कहना है कि कि हम इस मसले पर इंडस्ट्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर करेंगे। निजी अस्पतालों का कहना है कि यह कदम इंडस्ट्री के लिए 'विनाशकारी' होगा, क्योंकि इसमें बहुत सारे वेरिएबल्स शामिल हैं। प्राइवेट अस्पतालों का कहना है कि कॉस्ट कई अन्य फैक्टर्स, यहां तक कि भौगोलिक क्षेत्रों पर भी निर्भर करती है। यूपी की तुलना में दिल्ली में इनपुट कॉस्ट अधिक है। इसलिए यूपी और दिल्ली में कॉस्ट एक जैसा नहीं हो सकता है। अगर इसे स्टैंडराइज्ड किया जाता है, तो क्वॉलिटी प्रभावित होगी।प्राइवेट अस्पतालों की दलील है कि हरेक अस्पताल में कॉस्ट स्ट्रक्चर अलग-अलग है। यह अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए इनमें डॉक्टरों का अनुभव, ओटी में फैसिलिटी, अस्पताल द्वारा अपनाई जाने वाली इन्फेक्शन कंट्रोल पॉलिसी, पेशेंट सेफ्टी उपाय, आईटी सर्विस आदि शामिल हैं। बड़े अस्पताल और छोटे क्लीनिक के लिए एक जैसा कॉस्ट सिस्टम नहीं किया जा सकता है।