मुंबई: वकील साहब अपने क्लाइंट्स को सर्विस ही तो देते हैं। लेकिन उनकी सेवा सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं आती है। हालांकि, यदा-कदा उनकी कुछ सेवाओं पर विवाद होता रहता है और सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट संबंधित वकील साहब के खिलाफ टैक्स आर्डर इश्यू कर देता है। लेकिन अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ किया है कि वकीलों की सेवा पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता है।
किस मामले में आया है आदेश
वकीलों की सेवा पर सर्विस टैक्स नहीं लगेगा, बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह बात एक वकील पर 35 लाख रुपये के सर्विस टैक्स के आदेश को रद्द करते हुए स्पष्ट किया है। दरअसल, सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट के एक आदेश के खिलाफ ऐडवोकेट पूजा पाटील ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में सर्विस टैक्स के संबंध में 26 अक्टूबर 2023 को जारी सीजीएसटी डिप्टी कमिश्नर के आदेश को चुनौती दी गई थी। जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस किशोर संत की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई।अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जारी हुआ है आदेश
इस याचिका में दावा किया गया है कि डिप्टी कमिश्नर ने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर इस मामले में आदेश जारी किया है। आदेश में कई प्रक्रियागत कमियां हैं, साथ ही नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन भी करती हैं। इसलिए इस मामले में कोर्ट का हस्तक्षेप जरूरी है। याचिका के अनुसार, 20 जून 2012 और 20 जून 2022 को केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में वकीलों को सर्विस टैक्स से दूर रखा गया है। इस लिहाज से डिप्टी कमिश्नर को सेवा कर वसूली के संबंध में आदेश ही नहीं जारी करना चाहिए था, क्योंकि वकील सर्विस टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं। केंद्र सरकार की यह अधिसूचना कर भुगतान का आदेश जारी करने वाले अधिकारी पर बाध्यकारी है।