नई दिल्ली: अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (APTEL) में लंबित मामलों की संख्या में पिछले एक साल में 70 फीसदी तेजी आई है। ट्रिब्यूनल में बैकलॉग मामले की संख्या 1,516 पहुंच गई है। लेकिन ट्रिब्यूनल पिछले दो साल में केवल 49 मामलों का ही निपटारा कर पाया है। ट्रिब्यूनल में अरबों रुपये के क्लेम अधर में लटके हैं और पावर सेक्टर रिफॉर्म्स को लेकर निवेशकों का भरोसा बुरी तरह डिगा हुआ है। जानकारों का कहना है कि इनमें से कुछ मामले 2013 से ही पेंडिंग पड़े हैं जबकि कई मामलों को 180 दिन से ज्यादा समय हो गया है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के मुताबिक अपील का निपटारा 180 दिन के भीतर हो जाना चाहिए।
इन विवादों के कारण पूरी इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई चेन में स्टेकहोल्डर्स प्रभावित हुए हैं। APTEL का गठन विवादों का तेजी से निपटारा करने के लिए किया गया था ताकि निवेशकों में भरोसा कायम किया जा सके। इस ट्रिब्यूनल के तहत दो कोर्ट है। 30 जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक कोर्ट-1 में 930 लॉन्ग मैटर्स और 161 शॉर्ट मैटर्स लंबित हैं। इसी तरह कोर्ट-2 में 586 लॉन्ग मैटर्स और 57 शॉर्ट मैटर्स लंबित हैं। नवंबर 2022 तक कुल 888 मामले पेंडिंग हैं। हर कोर्ट में कम से कम दो सदस्य होने जरूरी हैं। इसमें से एक लीगल और दूसरा टैक्निकल बैकग्राउंट का होना चाहिए।
क्यों है बैकलॉग
ट्रिब्यूनल के कोर्ट-1 में जस्टिस रमेश रंगनाथ चेयरपर्सन और सीमा गुप्ता टेक्निकल मेंबर हैं। कोर्ट-2 में संदेश कुमार शर्मा टेक्निकल मेंबर और विरेंदर भट्ट जूडिशियल मेंबर हैं। सूत्रों के मुताबिक ट्रिब्यूनल में कई तरह की खामियां हैं और वर्क अलॉकेशन की प्रक्रिया भी काफी जटिल है। साथ ही ट्रिब्यूनल में मंजूर कुल पदों भी कई साल तक पूरे नहीं भरे गए। इस सभी कारणों से ट्रिब्यूनल में बैकलॉग की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। सितंबर, 2023 में जाकर ट्रिब्यूनल के सभी चार पदों को भरा जा सका था।