बायसरन घाटी में पर्यटकों पर हमला के लिए आतंकियों ने जो समय चुना व पाकिस्तान की नापाक सोच को दर्शाता है। यह हमला पाकिस्तान आर्मी चीफ के टू-नेशन थ्योरी वाले भड़काऊ बयान, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति के भारत दौरे, अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण और जम्मू संभाग में आतंकरोधी अभियान के बीच हुआ है। रक्षा विशेषज्ञ हमले के समय को उस एजेंडे को बढ़ावा देना मान रहे है, जिसे 2019 के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने दफना दिया था। बायसरन जैसे आकर्षक पर्यटन स्थल पर हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां आतंकियों का हमला करना इस बात का संदेश देना है कि जम्मू-कश्मीर में सबकुछ सामान्य नहीं है।
अमरनाथ यात्रा से पहले यह हमला इस बात का दबाव बनाने वाला है, कश्मीर में श्रद्धालु सुरक्षित नहीं हैं। पहलगाम व कश्मीर संभाग के विभिन्न इलाकों में सेवाएं दे चुके बिग्रेडियर राजिंद्र जमवाल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पर्यटकों पर यह अबतक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है। इस हमले की समय सीमा देखनी चाहिए। पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर के भड़काऊ बयान के बाद आतंकियों ने पर्यटकों की धार्मिक पहचान के बाद उन्हें गोली मारी।पहलगाम के बायसरन में हमला पंजाब की तरह घाटी से आतंक का अंत भी हो सकता है। पर्यटकों पर हमला कश्मीरी लोगों के रोजगार पर हमला है। जब लोगों के रोजगार पर हमला होता है तो वह किसी भी हद पर जाने पर तैयार हो जाते है। बायसरन ही क्योें...बायसरन घाटी में घूमने हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं। स्विट्जरलैंड जैसे दिखने वाले अपने लंबे काले घास के मैदानों के कारण बैसरन घाटी को अक्सर ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है। बैसरन एक आकर्षक घास का मैदान है, जो पहलगाम से सिर्फ पांच किमी दूर स्थित है। घने देवदार के जंगल जो घास के मैदान को हरा-भरा रूप देते हैं, आसपास के पहाड़ों की बर्फ से ढकी चोटियों इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इसी कारण यहां हर साल लाखों की तादाद में सैलानी घूमने आते हैं।आतंकियों के खिलाफ मिलकर काम करने की सख्त जरूरतब्रिगेडियर जमवाल ने कहा कि आतंकियों ने पर्यटन स्थल को निशाना बनाया ताकि यह संदेश जाए की घाटी के पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं है। पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि पहलगाम में इस आतंकी हमले की निंदा से आगे बढ़कर काम करना होगा। - जमवाल ने कहा कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर का बयान के बाद हमला उसके एजेंडे को आगे बढ़ाना वाला है। कश्मीरी में बड़ी कुर्बानी के बाद शांति है। यह बनी इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, ताकि आतंकवाद फिर से न बढे़ं