विद्वान ब्राह्मण अशोक द्विवेदी की मानें तो ऋषिकेश पंचांग और मिथिला पंचांग के अनुसार होलिका दहन 13 मार्च की रात को है. होली 15 मार्च को मनाई जाएगी. 13 मार्च को सुबह 10:02 के बाद पूर्णिमा तिथि का प्रवेश हो रहा है. उससे पहले चतुर्दशी तिथि रहेगी. कहा जाए तो 13 मार्च को पूर्णिमा की उदया तिथि नहीं है. उन्होंने बताया कि 14 मार्च को दिन के 11:11 तक पूर्णिमा तिथि रहेगी. इस कारण पूर्णिमा का स्नान दान पूजन का कार्य भी 14 मार्च को ही होगा. क्योंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य है. पूर्णिमा की उदया तिथि 14 मार्च को है इसलिए पूरा दिन पूर्णिमा माना जाएगा.
13 मार्च को पूर्णिमा तिथि प्रवेश करने के बाद से ही भद्रा नक्षत्र का प्रवेश शुरू हो जा रहा है. इसमें होलिका दहन या कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. भद्रा नक्षत्र रात्रि 10:37 तक रहेगा. इस बीच होलिका दहन का कार्य नहीं होगा. उसके बाद से रात्रि में किसी भी वक्त होलिका दहन करना शुभ है.
होली कब है? (Holi Kab Hai)
रंगोत्सव का त्योहार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष प्रतिपदा यानी एकम को होता है और चैत्र का प्रतिपदा 15 मार्च को होगा. उस दिन 12:59 तक एकम रहेगा. इसलिए रंगोत्सव का त्योहार 15 मार्च को होगा. बिहार में चलने वाले मिथिला पंचांग की यही तिथि है. इसी कारण पूरे मिथिलांचल में इस बार होली 15 मार्च को होगी जबकि होलिका दहन 13 मार्च को है.