Lal Babu pandey SHEOHAR
SHEOHAR; शिवहर जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों को मतदान से अपना प्रतिनिधि चुनने के वैधानिक अधिकार से 20 माह से वंचित रखे जाने के कारण अध्यक्ष, बिहार स्टेट बार कौंसिल, पटना के निर्णयों से क्षुब्ध जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष / महासचिव शिशिर कुमार ने एसोसिएशन का चुनाव शीघ्रातिशीघ्र कराने हेतु पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। धाकड़ अधिवक्ता सुनील कुमार वर्मा , सुमन कुमार वर्मा , अनीस कुमार और अंजली सिंह ने पिटीशनर श्रीकुमार की ओर से यह याचिका दायर की है। ज्ञात हो कि अधिवक्ताओं की इस मशहूर टीम ने ही शिवहर जिले में व्यवहार न्यायालय का कार्य शुरू कराने, सरोजा सीताराम सदर अस्पताल को चालू कराने और सीतामढ़ी - शिवहर - बापूधाम मोतिहारी रेल लाइन का निर्माण - कार्य शुरू कराने हेतु विभिन्न आवेदकों की ओर से पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिकायें दायर की थीं , जिनमें आवेदकों को पूर्ण सफलता मिली थी।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता शिशिर कुमार ने कहा है कि शिवहर जिला बार एसोसिएशन का चुनाव सितंबर , 2021 में ही ड्यू था लेकिन एक वर्ष अधिक बीत जाने के बावजूद तत्कालीन अध्यक्ष एवं महासचिव द्वारा चुनाव नहीं कराए जाने पर बिहार स्टेट बार कौंसिल ने पुरानी कमिटी को भंग कर इस निर्देश के साथ एक नई तदर्थ कमिटी का गठन कर दिया कि वह तीन माह के अंदर बार एसोसिएशन का चुनाव अनिवार्य रूप से करा लेगी । लेकिन तदर्थ कमेटी चुनाव कराने से भागती रही और उसके पदाधिकारियों ने इसे आपदा में एक अवसर समझ लिया और पूरे एसोसिएशन में अराजकता फैला दी। तदर्थ कमेटी के अधिकारी मनगढ़ंत बहाने बनाकर स्टेट बार कौंसिल से बार - बार अवधि - विस्तार की मांग करते रहे और बार कौंसिल के अध्यक्ष द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए अभीतक उन्हें तीन बार अर्थात् सात माह का अवधि विस्तार दिया जा चुका है। उन्होंने कहा है कि राज्य के कई जिलों में तदर्थ कमेटी की आड़ में स्टेट बार कौंसिल अपनी हुकूमत चला रहा है नतीजन कितने जिलों में वर्षों से चुनाव नहीं हो पा रहे हैं और उन एसोसिएशनों में सारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी हैं।
पूर्व अध्यक्ष शिशिर कुमार ने कहा है कि तदर्थ कमिटी का गठन सिर्फ चुनाव कराने के लिए ही किया गया था लेकिन उसने चुनाव नहीं करा कर अपने गठन के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। असीमित काल तक चुनाव नहीं कराने की स्टेट बार कौंसिल की
मंशा को देखते हुए अधिवक्ताओं के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए उन्होंने मजबूर हो कर पटना उच्च न्यायालय की शरण ली है। उन्होंने कहा है कि जिला बार एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ताओं को न्याय दिलाने हेतु वे कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं।