दरअसल, पटना के मृदहा टोली की निवासी नीना गुप्ता ने एसीएस को व्हाट्सएप पर शिकायत भेजी थी कि उनके बेटे के स्कूल में शिक्षक पढ़ाने नहीं आते हैं, गप्पे लड़ाते हैं और बच्चे खाली बैठे रहते हैं. इस पर उन्होंने नाराजगी जतायी और तत्काल जांच के आदेश दिए. उन्होंने दोषी शिक्षकों को बॉर्डर वाले इलाके में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया.
ट्रांसफर में पूर्ण पारदर्शिता
दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से एक शिक्षक ने कहा कि उन्हें 70 हजार रुपये देकर मनचाही पोस्टिंग का झांसा दिया गया था. इस पर डॉ. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया कि अब ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित और कोडेड सॉफ्टवेयर पर आधारित है. न डीईओ, न शिक्षक और न ही कोई अन्य व्यक्ति इसमें दखल दे सकता है. ये साइबर ठगी है लिहाजा सतर्क रहें.
मेडिकल अवकाश में वेतन कटौती बर्दाश्त नहीं
वहीं गोपालगंज की शिक्षिका राधिका शर्मा की शिकायत पर अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि मेडिकल अवकाश के दौरान वेतन रोकना गलत है, जब तक वह 'नो पे लीव' न हो. सभी वैध अवकाशों में वेतन भुगतान सुनिश्चित होगा. जांच के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए.
मधुबनी के एक नागरिक ने शिकायत करते हुए कहा कि टोला सेवक और मरकज सेवक की कई सीटें रिक्त हैं, लेकिन विभाग को शून्य रिक्ति की रिपोर्ट भेजी जा रही है, जिससे बहाली प्रक्रिया बाधित हो रही है. इस पर एसीएस ने कहा कि जहां उच्च न्यायालय में वाद लंबित नहीं हैं. वहां बहाली की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाएगी. इस मामले की गंभीर समीक्षा अगले सप्ताह की जाएगी.