श्रीराम और हनुमान की पहली मुलाकात की कथा
मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम वनवास के दौरान माता सीता की खोज में भटक रहे थे, तभी उनकी पहली बार मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। उस समय हनुमान जी राजा सुग्रीव के दूत बनकर ब्राह्मण वेष में भगवान श्री राम से मिले थे। जब राम जी ने स्वयं को अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र बताया, तब हनुमान जी ने अपना असली रूप प्रकट किया और तभी से राम-हनुमान की भक्ति का अटूट बंधन शुरू हुआ।
कहां हुआ था राम और हनुमान का मिलन?
भगवान राम और हनुमान जी का ऐतिहासिक मिलन आज के कर्नाटक राज्य में हुआ था। वर्तमान के हम्पी शहर में जिस स्थान पर हनुमान जी और राम जी की मुलाकात हुई थी, वहां अब यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर बन गया है जो इस पावन मिलन का साक्षी माना जाता है। इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर का इतिहास और मान्यता
पौराणिक मान्यतओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना महान संत ऋषि व्यास राज ने की थी। कहते हैं कि वे प्रतिदिन कोयले से हनुमान जी की आकृति बनाकर पूजा करते थे। पूजा के बाद आकृति स्वयं मिट जाती थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए और एक रहस्यमय यंत्र के भीतर अपनी प्रतिमा स्थापित करने का आदेश दिया।
यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर की विशेषताएं
यह मंदिर अन्य हनुमान मंदिरों से थोड़ा अलग है। यहां हनुमान जी को सामान्य रूप में उड़ते या खड़े हुए नहीं बल्कि ध्यान मुद्रा में यंत्र के भीतर बैठे हुए दर्शाया गया है। उनके हाथों में प्रतीकात्मक वस्तुएं हैं, जो शक्ति और साधना का प्रतीक मानी जाती हैं।
कैसे पहुंचे यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर?
यह मंदिर कर्नाटक की अंजनेया पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसे बंदर मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर एक गुफा के भीतर बना हुआ है और यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 570 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है। हम्पी तक रेल या बस के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। बैंगलोर या मैसूर से निजी वाहन या टैक्सी से भी यहां आराम से आ सकते हैं।