Matholi Village in Uttarakhand: आज के दौर की महिलाएं अपने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन कर रही हैं, लेकिन एक ऐसी जगह भी है, जहां की महिलाओं के कारण उनके गांव का ही नाम महिला के गांव के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है। यहां महिलाओं के सफल प्रयास से पर्यटन को तो बढ़ावा मिल रही रहा है, साथ ही महिलाएं आत्मनिर्भर और उद्यमी भी बन रही हैं। ये गांव महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गया है। महिलाओं या बहुओं के गांव के नाम से मशहूर हो रहा यह स्थान उत्तराखंड में स्थित उत्तरकाशी जिले का मथोली गांव है। इस लेख में जानिए मथोली गांव को क्यों बहुओं का गांव या महिलाओं का गांव कहा जा रहा है और यह गांव किस कारण से महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनता जा रहा है।
कहां है मथोली गांवमथोली गांव उत्तरकाशी जिले के चिनालीसौर ब्लॉक में स्थित है। देहरादून से मथोली गांव की दूरी लगभग 121 किमी है, जहां आप सड़क मार्ग के जरिए जा सकते हैं। चिनालीसौर तक टैक्सी से आ सकते हैं और आगे के लिए अन्य स्थानीय टैक्सी मिल जाएगी। चिनालीसौर तक बस सेवा भी उपलब्ध है।उत्तरकाशी में शहर की भीड़भाड़ से दूर मथोली गांव शांत और सुंदर जगह है जो कि परिवार और पार्टनर के साथ छुट्टियां बिताने के लिए परफेक्ट विकल्प है। पहाड़ों से घिरे इस गांव के नजारे देखते ही बनते हैं।महिलाएं दे रही पर्यटन को बढ़ावा इस गांव को बुआरी गांव या महिलाओं के गांव के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खास वजह भी है। ये गांव सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी मशहूर है। यहां की औरतें स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही हैं।
ग्रामीण महिलाएं चला रही होमस्टे
गांव की ब्रांडिंग ‘ब्वारी विलेज’ के तौर पर की जा रही है। बुआरी या ब्वारी का मतलब होता है, पुत्रवधु। यहां कि बहू बेटियां फार्म स्टे चलाती हैं। पर्यटकों को विलेज टूर कराती हैं। यहां कि अधिकतर महिलाओं ने अपनी गौशाला को होम स्टे में बदल कर पर्यटकों के लिए खोल दिया। मुख्यमंत्री धामी ने भी मथोली गांव की महिलाओं की प्रशंसा करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बताया।
मथोली गांव में मनोरंजन के विकल्प
मथोली गांव आने वालों के लिए मनोरंजन के लिए ढेरों विकल्प हैं। यहां फार्मिंग देख सकते हैं, घुड़सवारी और ट्रैकिंग का लुत्फ उठा सकते हैं। स्थानीय गढ़वाली व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं।