सच्ची घटना पर आधारित फिल्म ‘रजाकार’ जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में 1948 के हैदराबाद मुक्ति आंदोलन की झलक देखने को मिलेगी। इसके डायरेक्टर और राइटर याता सत्यनारायण हैं। 'मूक नरसंहार' पर बनी इस फिल्म के प्रोड्यूसर और BJP मेंबर गुडूर नारायण रेड्डी ने दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत की।
इंटरव्यू के दौरान गुडूर नारायण रेड्डी ने कहा- इस फिल्म को बनाना मेरे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था। इसको बनाने में मुझे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शूटिंग रुकवाने के लिए बहुत सी कोशिशें की गईं। उन्होंने कहा- शूटिंग के दौरान मुझे कई बार जान से मारने की धमकी दी गई थी।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) पार्टी ने कई बार फिल्म से जुड़े लोगों को भी धमकी दी थी। उन्होंने आगे कहा- मुझे 1100 बार धमकियां मिली थीं। ऐसी धमकियां दी गई जिनके बारे में मैं खुलकर बता भी नहीं सकता हूं।
गुडूर नारायण रेड्डी ने किसी भी धमकी से डरकर शूटिंग नहीं रोकी। उन्होंने इतने चैलेंजेज के बाद भी फिल्म की शूटिंग समय पर पूरी की।
गुडूर नारायण रेड्डी ये फिल्म बनाकर इतिहास का हिस्सा बनना चाहते हैं, क्योंकि इतने सालों में ये फिल्म बनाने की हिम्मत किसी कि नहीं हुई।
गुडूर नारायण रेड्डी फिल्म में कंगना को लेना चाहते थे
'रजाकार' के ट्रेलर लॉन्च के मौके पर कंगना रनोट भी पहुंची थीं। कंगना के बारे में बात करते हुए नारायण रेड्डी ने बताया कि वो इस फिल्म में कंगना को लेना चाहते थे। किसी वजह से वो कंगना को अप्रोच नहीं कर पाए, लेकिन उनकी इच्छा है कि कंगना के साथ आगे किसी प्रोजेक्ट में काम करें।
कंगना उनकी फेवरेट एक्ट्रेस हैं। रेड्डी को कंगना का बेबाक अंदाज बेहद पसंद है। उनका कहना है कि कंगना सच बोलने से डरती नहीं हैं। यही वजह थी कि फिल्म का ट्रेलर लॉन्च उन्होंने कंगना के हाथों से करवाया था।
फिल्म में काम करने से कई एक्टर्स ने मना किया
गुडूर नारायण रेड्डी ने कहा कि उन्होंने शुरुआत में कई एक्टर्स से फिल्म में काम करने के लिए पूछा था। एक्टर्स ने डरकर फिल्म में काम करने से मना कर दिया। उनका मानना था कि इस फिल्म में काम करने से बहुत कॉन्ट्रोवर्सी होगी। इस वजह से कई एक्टर-एक्ट्रेस ने इस फिल्म में काम करने से साफ इंकार कर दिया।
60 हजार लोगों के साथ अत्याचार हुआ था
'मूक नरसंहार' के बारे में बात करते हुए गुडूर रेड्डी ने कहा कि 60 हजार हादसे हुए थे। इस नरसंहार में महिलाओं की बहुत दुर्गति हुई थी। इतने लोगों के साथ हुई बदसलूकी फिल्म में दिखा पाना बहुत मुश्किल है। उन्होंने महिलाओं के साथ हुए घिनौने अपराध पर जोर डालते हुए बताया कि हर उम्र की महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया था। उनके पिता, भाई के सामने उनकी इज्जत से खिलवाड़ किया जाता था।
अपनी मां का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा- मेरी मां जब 7 साल की थीं। उन्हें मुंबई में उनकी बड़ी बहन के यहां रहने के लिए भेज दिया गया था, क्योंकि महिलाओं के लिए वहां का माहौल बहुत खौफनाक था।
दूसरा 'रजाकार' नहीं पैदा होना चाहिए- गुडूर नारायण रेड्डी
गुडूर नारायण रेड्डी इतिहास में दफ्न इस कहानी को दिखाकर युवाओं की आंखें खोलना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि कोई दूसरा 'रजाकार' पैदा ना हो। गुडूर नारायण रेड्डी ने हिन्दुत्व पर बात करते हुए कहा कि वो सभी हिन्दुओं को जागरूक करना चाहते हैं। हिन्दू कभी भी किसी मजहब के बारे में गलत नहीं बोलते हैं।
उन्होंने कहा- इतिहास की इस कहानी को मैं सिनेमा के जरिए सभी के सामने लेकर आया हूं। मैं चाहता हूं कि जो हुआ वो अब दोबारा कभी नहीं होना चाहिए। गुडूर रेड्डी को लव जिहाद जैसी चीजों से समस्या है। उनका मानना है कि आपका मजहब बाद में है, पहले आप एक भारतीय हैं। उन्होंने सभी युवाओं को निडर रहने की सलाह दी है।
फिल्म के बजट को लेकर भी हुई समस्या
फिल्ममेकर नारायण रेड्डी ने बताया कि उन्होंने फिल्म का बजट 16 करोड़ तक सोचा था। इतने बजट के हिसाब से उन्होंने फिल्म की तैयारी शुरू की थी। फिर देखते ही देखते फिल्म का बजट 60 करोड़ तक पहुंच गया। वो फिल्म में किसी चीज की कमी नहीं रखना चाहते थे। इस वजह से उन्होंने बजट को संभाला। फिल्म की क्वालिटी से उन्होंने किसी तरह का समझौता नही किया है।
कंगना रनोट ने ट्रेलर लॉन्च के मौके पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की तुलना भगवान शिव से की थी
कंगना ने ट्रेलर लॉन्च इवेंट में कहा था- हम लोगों ने हमेशा अपनी किताबों में महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के बारे में पढ़ा है, लेकिन ऐसे बहुत महान लोग हैं, जिनके बारे में हम नहीं जानते हैं। जैसे सरदार वल्लभ भाई पटेल। उनकी तुलना भगवान शिव से की जाती है। जिस तरह से भगवान शिव ने सती जी के अंगों को एक-साथ रखा, उसी तरह आजादी के बाद हमारे टूटते हुए भारत को जिस शख्स ने पकड़कर रखा वो वल्लभ भाई पटेल हैं।
भारत की आजादी के 396 दिनों के बाद हैदराबाद को आजादी मिली। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हैदराबाद के निजाम भारत के साथ नहीं जाना चाहते थे, लेकिन वहां की जनता भारत के साथ आना चाहती थी। टुकड़े गैंग क्लेम करती है कि हम टुकड़ों-टुकड़ों में बसने वाले राज्य थे। ऐसे गैंग को इतिहास दिखाने की जरूरत है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को एक-जुट किया है। इस तरह की फिल्मों का बनना इसलिए जरूरी है ताकि हम अपने देश को ग्रांटेड ना लें और देश के इतिहास को जान सकें।
फिल्म भारत के इतिहास की सच्ची घटनाओं पर आधारित है
फिल्म की कहानी 1948 के हैदराबाद मुक्ति आंदोलन के इर्द-गिर्द घूमती नजर आएगी। फिल्म में गुंडरामपल्ली, पारकाला, भैरनपल्ली गांवों में हुए अत्याचारों को दिखाया जाएगा। 'रजाकार' फिल्म हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान के शासन के दौरान हिंदुओं के 'मूक नरसंहार' के बारे में होगी।
इस फिल्म में खासिम रजवी के नेतृत्व में रजाकारों के अत्याचारों का पता चलेगा। याता सत्यनारायण इस फिल्म के राइटर और डायरेक्टर हैं। महेश अचंता, राज अर्जुन और अनसूया भारद्वाज जैसे कलाकार फिल्म में अहम किरदार निभाते नजर आएंगे।