2019 में लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लॉन्च करने की घोषणा की थी. इस योजना में छोटे किसानों को 2000 रुपये की तीन किस्तों में सालाना 6000 रुपये दिए जाते हैं, जिससे उन्हें डीजल, खाद और बीज के खर्चों में राहत मिल सके. बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव समेत कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में इस योजना का जबरदस्त लाभ मिला.
ये उम्मीद थी कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना की रकम में बढ़ोतरी करेगी. पिछले पांच सालों में फसलों पर किसानों की लागत बढ़ी है. किसानों को डीजल और बीज पर 5 साल के मुकाबले ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है. अब 11 करोड़ किसानों की उम्मीदों पर मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में पानी फेर दिया है. पीएम किसान निधि के तहत दिए जाने वाली रकम में कोई इजाफा नहीं किया गया है.
निर्मला सीतारमण के अंतरिम बजट से टैक्सपेयर्स और खासतौर से सैलरीड क्लास भी बेहद निराश हैं. टैक्सपेयर्स को ये उम्मीद थी कि सरकार टैक्स के बोझ को कम करेगी. मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में तीन गुना उछाल देखने को मिला है. सीबीडीटी के मुताबिक 2013-14 में कुल 5,26,44,496 टैक्सपेयर्स थे जिनकी संख्या 2022-23 में बढ़कर 9,37,76,869 हो गई है. पर इस सब के बावजूद सरकार ने तो ना स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिमिट को बढ़ाया और ना इनकम टैक्स छूट की लिमिट में कोई बढ़ोतरी की. नए इनकम टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाने के लिए भी बजट में कोई घोषणा नहीं की गई है जिससे टैक्सपेयर्स निराश हैं.