मौसम बदलने की वजह
IMD के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बना निम्न दबाव का क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम मानसून की धीमी प्रगति इस मौसमी बदलाव का मुख्य कारण है। नमी भरी हवाएं बिहार की ओर बढ़ रही हैं, जिससे वातावरण में उमस और अस्थिरता बढ़ गई है। यह स्थिति अगले 48 घंटों तक जारी रह सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मानसून पूरी तरह सक्रिय नहीं होता, तब तक बारिश, उमस और गर्मी का मिश्रित प्रभाव बना रहेगा।
प्रभावित जिले और सावधानियां
ऑरेंज अलर्ट वाले 12 जिलों (पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, शिवहर सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा) में भारी बारिश से जलभराव, सड़कें बंद होने और बिजली आपूर्ति में व्यवधान की आशंका है। हाल के दिनों में अररिया में सड़कों पर पानी भरने और सुपौल में पेड़ गिरने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। IMD ने लोगों को सलाह दी है कि तेज बारिश और बिजली के दौरान घरों में रहें। पेड़ों, बिजली के खंभों और जलाशयों के पास न जाएं। किसानों को खेतों में काम करने से बचने और ट्रैक्टर, मोबाइल फोन जैसे धातु उपकरणों का उपयोग न करने की सलाह दी गई है।
17 जिलों में येलो अलर्ट के तहत हल्की से मध्यम बारिश और 30-40 किमी/घंटा की हवाएं चलने की संभावना है। इनमें पटना, वैशाली, समस्तीपुर, भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर, खगड़िया, गोपालगंज, सिवान, सारण, शेखपुरा, लखीसराय, बेगूसराय, नालंदा, नवादा, औरंगाबाद शामिल हैं। पटना में बादल छाए रहने से तापमान में 2-3 डिग्री की गिरावट संभव है, लेकिन उमस से पूरी राहत नहीं मिलेगी।
पिछले कुछ दिनों में बिहार में बारिश और तूफान ने कहर बरपाया है। 31 मई 2025 को किशनगंज में 14.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सिवान में तूफान से 7 लोगों की मौत हुई। पूर्णिया और अररिया में बिजली गिरने से दो लोगों की जान गई। मधेपुरा और सुपौल में पेड़ गिरने और बिजली गिरने की घटनाओं ने स्थानीय स्तर पर नुकसान पहुंचाया। नेपाल में भारी बारिश ने किशनगंज और अररिया में नदियों के उफान को बढ़ाया, जिससे बाढ़ का खतरा पैदा हो गया।