SHEOHAR;बिहार का सबसे छोटा जिला- शिवहर जहां ज़र्रे ज़र्रे में है आस्था और भक्ति
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बिहार के सबसे छोटे जिले शिवहर के जर्रे-जर्रे में आस्था और भक्ति है. इस स्थली का अपना पौराणिक और धार्मिक इतिहास है. कहते हैं कि यह स्थली पर भगवान शिव और हरि के मिलन की भूमि है, इसीलिए इसका नाम शिवहर पड़ा. रामायण और महाभारत काल से भी इसका सीधा संबंध रहा है. जिला बनने से पहले तक यह सीतामढ़ी जिला का अनुमंडल हुआ करता था.
शिवहर का इतिहास
6 अक्टूबर 1994 को शिवहर एक जिला के रूप में आया. यह जिला तीन जिला से घिरा हुआ है. इसके उत्तर-पूर्व में सीतामढ़ी, पश्चिम में पूर्वी चम्पारण और दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला है. इस जिले की जमीन उपजाऊ है इसलिए सभी प्रकार की फसलें पैदा होती हैं.
शिवहर जिले की विशेषता
2011 के जनगणना के अनुसार शेखपुरा के बाद सबसे कम आबादी वाले जिले में इसका नाम आता है. यह जिला बागमती नदी की वजह से पिछड़ेपन का काफी शिकार हुआ. इस जिले की साक्षरता मात्र 38% है जो राष्ट्रीय और राजकीय औसत से काफी कम है. बाढ़ से काफी प्रभावित रहने के कारण यहां सड़कों का अच्छा नेटवर्क अभी ठीक नहीं है।
गांवों से जोड़ने वाली ज्यादातर सड़कों की स्थिति खास्ता हाल है,
फिर भी यहां के लोगों में आस्था और भक्ति मे अट्टू विश्वास है।
शिवहर जिला में 111 शिव मंदिर है जहां प्रतिदिन होती है पूजन आरती। इस कड़ी में शिवहर जिला का सबसे पौराणिक स्थान देकूली धाम है जो पिपराही प्रखंड के घर्मपुर गांव में स्थित है बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव का मंदिर जो मंदिर सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर पश्चिम और शिवहर जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर पूरब में एन एच 104 के किनारे स्थित है। इस मंदिर को सीतामढ़ी से जानकी सर्किट से जोड़ने हेतु स्वीकृती मिल चुकी है। देवकली धाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे थे पुजा अर्चना कर उसके विकास के लिए अधार शिला रखी थी जिसपर बड़े ही तेजी से काम हो रहा है। देकूली धाम मंदिर की पौराणिक स्थान से भी संबंध बताया जाता है, बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव मंदिर बागमती नदी के किनारे पर स्थित है जो बागमती नदी काठमांडू नेपाल से बाबा पशुपतिनाथ मंदिर के नीचे से बहती हुई आतीं हैं। मान्यता है बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से बाबा पशुपतिनाथ का भी पुजा का फल मिलता है। इसलिए यहां नेपाल, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर मोतिहारी से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां बड़ी भीड़ होती है। एक दिन पहले से ही लोग यहां पहुंचने लगते हैं। महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करते हैं। यहां सालोंभर लोगों आने का तांता लगा रहता है।