लाल बाबू पांडे शिवहर:शादी के शुभ मुहूर्त खत्म हो गए हैं। 12 जून से देव गुरु बृहस्पति अस्त हो जाएंगे। वही, 6 जुलाई से देवशयनी एकादशी के साथ चतुर्मास आरंभ होंगे। साढ़े चार माह से अधिक समय के लिए शहनाई नहीं बजेंगी। अब 2 नवंबर को देवोत्थान एकादशी से शुभ मुहूर्त आरंभ होंगे और शहनाई की आवाज सुनाई देगी।
आचार्य भरतराम गौड़ ने बताया कि सनातन धर्म में शुभ लगन की तिथियों में ही विवाह संस्कार कराने की मान्यता है। जेठ मास के शुभ मुहूर्त 8 जून तक थे। इसके साथ ही मांगलिक आयोजनों, वैवाहिक कार्यक्रमों पर रोक लग गई है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 12 जून को देव गुरु बृहस्पति पश्चिम दिशा में अस्त होंगे। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, वैवाहिक जीवन, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक माना जाता है।
इसलिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विवाह मुहूर्त में गुरु (बृहस्पति) की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है और गुरु का अस्त होना अशुभ माना जाता है। साथ ही इस दौरान विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, देव प्रतिष्ठा जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। इसके बाद 7 जुलाई को पूर्व दिशा में उदित होंगे। साथ ही 6 जुलाई देवशयनी एकादशी से चातुर्मास आरंभ हो जाएगा। चार महीना तक चातुर्मास रहेगा। इसमें मांगलिक कार्य करने की मनाही रहेगी। वहीं 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी से विवाह आरंभ होंगे।