भारत में महंगाई का एक सबसे प्रमुख कारण है सब्जियां. इस साल वित्तीय वर्ष 2024 में भी यही हुआ. मगर इस बार तो गर्मी, कभी कम या ज्यादा बारिश और कीड़ों के हमलों ने हालत और खराब कर दी.
आमतौर पर सर्दियों में सब्जियों के भाव कम हो जाते हैं, पर इस बार तो ऐसा हुआ ही नहीं. बल्कि जितने दाम पिछली गर्मियों में बढ़े थे, उससे भी ज्यादा सर्दियों में बढ़ गए. मतलब कि पूरे साल ही देश में सब्जियों ने महंगाई बढ़ाने में अच्छा खासा अपना योगदान दिया.
सब्जियों के दाम में कितना उतार-चढ़ाव आया?
रेटिंग एजेंसी CRISIL की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 10 सालों (2014-23) में सामान्य चीजों की कीमतों में सबसे कम उतार-चढ़ाव देखा गया था. खाने-पीने की चीजों के दाम में मध्यम उतार-चढ़ाव था और सब्जियों के भाव में सबसे ज्यादा 16.8 फीसदी उतार-चढ़ाव आया था. इससे पता चलता है कि सब्जियों की कीमतें अन्य चीजों और सेवाओं की तुलना में बहुत ज्यादा अस्थिर थी.
जबकि वित्त वर्ष 2024 में सामान्य चीजों और सेवाओं की कीमतों में महज 0.9 फीसदी का बदलाव हुआ. इस एक साल में खाद्य पदार्थों की कीमतें 2.5 फीसदी बढ़ गई. लेकिन सब्जियों के दाम में सबसे ज्यादा 15.4 फीसदी का बदलाव हुआ. इसका मतलब है कि वित्तीय वर्ष 2024 में सभी तरह की चीजें मामूली ही महंगी हुई, मगर सब्जियों की कीमत इस साल भी अस्थिर रहीं.
2023-24 में कितनी महंगी बिकीं सब्जियां?
मार्च 2024 में सब्जियों की कीमतों में 28.3 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. हालांकि ये महंगाई फरवरी (30.2%) से थोड़ा कम थी और पिछले साल मार्च की तुलना में दाम 8.4% कम थे. ये पूरा साल अजीब रहा. दामों में काफी ज्यादा उतार चढाव देखा गया. मई 2023 में 7.9% की गिरावट, फिर जुलाई 2023 में एकदम 37.4% की छलांग लगा दी. अस्थिरता (स्टैंडर्ड डेविएशन) का पैमाना 15.4 पर पहुंच गया जो वित्तीय साल 2020 के बाद सबसे ज्यादा है.
पिछले वित्तीय वर्ष में सब्जियों की औसत महंगाई 14.9% रही, जो वित्तीय वर्ष 2023 में सिर्फ 3% थी. ये तो पिछले दस साल के औसत से (5.6%) भी बहुत ऊपर है. वित्तीय वर्ष 2024 में महंगाई की लगभग 30% वजह सब्जियां थी, जबकि आम तौर पर फूड इंडेक्स में सब्जियों का हिस्सा सिर्फ 15.5% के आसपास होता है.
अखबार में पूरे साल टमाटर और प्याज के दाम ही छाए रहते हैं लेकिन असल में इनके अलावा कई दूसरी सब्जियों में भी आग लगी थी. लहसुन और अदरक तो 100% से भी ज्यादा महंगे हो गए. बैंगन, परवल, बीन्स वगैरह ने भी खूब जेब ढीली की दी.
क्यों इतने अस्थिर रहे भारत में सब्जियों के दाम?
पिछले साल मौसम बहुत खराब रहा और इसी वजह से सब्जियों के दामों में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला. एल निनो की स्थिति के कारण मौसम औसत से ज्यादा गर्म रहा और मानसून भी प्रभावित हुआ. पिछले साल दक्षिण-पश्चिम मानसून भी सामान्य से कम रहा. अगस्त के महीने में बहुत कम बारिश हुई. साथ ही मानसून का फैलाव भी एक जैसा नहीं था.
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 1901 में रिकॉर्ड रखना शुरू होने के बाद से अगस्त 2023 सबसे शुष्क और सबसे गर्म अगस्त था. इसके अलावा कुछ सब्जियों की फसल वायरस से भी खराब हो गई. इस सबका नतीजा यह हुआ कि सब्जियों के दाम न केवल मौसमी हिसाब से बहुत ज्यादा बढ़ गए. साल के ज्यादातर महीनों में दाम ऊंचे ही रहे. पिछले साल के स्तर से भी ऊपर चले गए, जिससे महंगाई बढ़ गई.
भारत उन देशों में है जहां जलवायु परिवर्तन का बुरा असर होता है और इसका खास असर खेती-बाड़ी पर पड़ता है. भीषण गर्मी, बाढ़, तूफान, मानसून में बदलाव इन सबसे सब्जियों को बहुत नुकसान होता है. इससे पैदावार भी घटती है और दाम बढ़ते हैं. गर्मी बढ़ने से कीटों की समस्या भी बढ़ जाती है.
सब्जियों के दाम क्यों कंट्रोल नहीं हो पाते?
सब्जियों के भाव पूरी तरह से मौसम पर निर्भर करते हैं. हालांकि सरकार और सप्लायर्स सब्जियों का स्टॉक रखने और दूसरे देशों से आयात कराने की कोशिश कर रहे हैं, मगर सब्जियां जल्दी खराब होने वाली चीज है. इसलिए इन सब उपायों का पूरा असर नहीं हो पाता.
एक और बात ये है कि भारत में सब्जियों के लिए जरूरी कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं भी कम हैं जिससे दामों को कंट्रोल करने में दिक्कत होती है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत दुनिया के उन देशों में से है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना कर रहा है. भीषण गर्मी, बाढ़ और तूफानों जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, कुल मिलाकर किसानों और आम लोगों के लिए बहुत सी परेशानियां खड़ी हो गई हैं.
सब्जियों के दाम स्थिर करने का क्या है उपाय?
CRISIL की रिपोर्ट के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में अचानक उतार-चढ़ाव से पूरे देश की महंगाई का ग्राफ प्रभावित होता है. हालांकि सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी कुछ समय के लिए ही होती है क्योंकि बाजार में नया माल आने से दाम गिर जाते हैं. मगर बार-बार ऐसे झटके लगने से सब्जियां महंगाई को स्थायी रूप से बढ़ा सकती हैं. इसलिए ऐसे उपाय अपनाने जरूरी हैं जो इस असर को कम कर सकें.
भारत जैसे देश में जहां जलवायु परिवर्तन से खतरा बढ़ता जा रहा है, ऐसे में ये जरूरी हो गया है कि हम खेती-बाड़ी के तरीकों में बदलाव लाएं. सड़कें, सिंचाई, कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं का बेहतर होना आवश्यक है. खेती के नए-नए और टिकाऊ तरीके अपनाने होंगे, जो बदलते मौसम का सामना कर सकें. तभी कुछ हो पाएगा, वरना सब्जियों के भाव यूं ही हमें रुलाते रहेंगे.
मौसम विभाग ने साल 2024 में अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की है. इससे सब्जियों के दाम कम होने की उम्मीद है, लेकिन बारिश भी उतना ही जरूरी है. मौसम विभाग के अनुसारजून तक तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है, जिससे सब्जियों के दाम कुछ महीनों तक ऊंचे ही रह सकते हैं. मतलब, सब्जियों की पैदावार और कीमतों पर मौसम का बहुत ज्यादा असर होता है. इसलिए इन चुनौतियों से निपटने के लिए लंबे समय की योजनाएं बनानी होंगी.